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Vedis

Pinddaan Vedis Dhaam

प्रमुख वेदियाँ

1. Pun-Pun (पुनपुन)

पुनपुन में पिंडदान क्यों होता है?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुनपुन वह स्थान है जहाँ माता सीता ने भगवान राम के पितरों का तर्पण और पिंडदान किया था।

जब श्रीराम पितृपक्ष में गया आए थे, तो उन्हें कुछ समय के लिए वहाँ रुकना पड़ा। उस समय श्रीराम कहीं बाहर गए हुए थे, और उस दौरान माता सीता ने अकेले ही पिंडदान कर दिया।

महत्वपूर्ण तथ्य: इस घटना से यह सिद्ध हुआ कि स्त्रियाँ भी पिंडदान कर सकती हैं, और तब से यह स्थान विशेष रूप से "पुनपुन" के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
पौराणिक महत्व:
  • पुनपुन नदी को पवित्र नदी माना गया है
  • सभी तीर्थों के समान पुण्यफल देने वाला
  • श्राद्ध कर्मों की शुरुआत के लिए उपयुक्त
पुनपुन में होने वाले कर्म:
तर्पण (जल अर्पण)
तिलांजलि
पिंडदान
ब्राह्मण भोज

2. Falgu River (फल्गु नदी)

फल्गु नदी का पौराणिक महत्व

फल्गु नदी (Phalgu River) बिहार के गया शहर में स्थित एक पवित्र नदी है, जो पिंडदान और श्राद्ध कर्मों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

पौराणिक कथा: माता सीता द्वारा यहीं पिंडदान करने के बाद उसे श्राप दिया गया कि बाहर से सूखी और भीतर से जलयुक्त रहेगी।

आज भी लोग रेत हटाकर जल निकालते हैं और तर्पण-पिंडदान करते हैं। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण, विष्णु पुराण, और महाभारत जैसे ग्रंथों में भी मिलता है।

विशेषताएं:
  • वाल्मीकि रामायण, विष्णु पुराण में उल्लेख
  • मोक्षदायिनी नदी
  • गया शहर के बीचों-बीच बहती है

गया जी वेदियों की सूची

क्रम वेदियाँ क्रम वेदियाँ क्रम वेदियाँ
1 Pun‑Pun 2 Falgu River 3 Brahma Kund
4 Prethshilla 5 Ramshilla 6 Ram Kund
7 KagBali 8 Uttarmanas 9 Udichi
10 Kankhal 11 Dakhin Manas 12 Jiwha Loll
13 Gajadhar Jee 14 Sarswati 15 Dharmaranya
16 BodhGaya 17 Brahma Sarower 18 Kaakbali
19 Amrasichen 20 Rudrapada 21 Brahmapada
22 Vishnupada 23 Kartikpada 24 Dhadikhagni
25 Garpashagni 26 Ahabaniya Agni 27 Suryapada
28 Chandrapada 29 Ganeshpada 30 Sandyagnipada
31 Yagnipada 32 Dadhichipada 33 Kanna Pada
34 Mat Gowapi 35 Ko Pada 36 Agastha pada
37 Indrapada 38 Kahsyapada 39 Gajakaran
40 Ram‑Gaya 41 Sita Kund 42 Gayasir
43 Gayakup 44 Mund Pristha 45 Adi Gaya
46 Dhout Pada 47 Bhim Gaya 48 Go Prachar
49 Gada Loll 50 Dud Tarpan 51 Baitarni
52 AkshayBat 53 Gayatri Ghat

गया जी में पिंडदान - पितरों का मोक्ष

भारत की धार्मिक नगरी गया जी में पिंडदान का अत्यंत पौराणिक महत्व है। विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी, पुनपुन, ब्रह्मा कुंड, प्रेतशिला जैसे प्रमुख स्थल यहाँ पिंडदान के लिए प्रसिद्ध हैं।

पुनपुन - माता सीता द्वारा पिंडदान

पौराणिक मान्यता के अनुसार पुनपुन वही स्थल है जहाँ माता सीता ने भगवान राम के पितरों का पिंडदान किया। सीता जी ने अपने संकल्पबल से यह सिद्ध किया कि स्त्रियाँ भी पिंडदान कर सकती हैं।

पुनपुन में होने वाले कर्म:
  • तर्पण (जल अर्पण)
  • तिलांजलि
  • पिंडदान
  • ब्राह्मण भोज

फल्गु नदी का पौराणिक महत्व

फल्गु नदी गया शहर के मध्य बहती है। माता सीता द्वारा यहीं पिंडदान करने के बाद उसे श्राप दिया गया कि बाहर से सूखी और भीतर से जलयुक्त रहेगी। आज भी रेत हटाकर तर्पण किया जाता है।

  • वाल्मीकि रामायण, विष्णु पुराण में उल्लेख
  • मोक्षदायिनी नदी

ब्रह्मा कुंड

यह वह स्थल है जहाँ भगवान ब्रह्मा ने स्वयं पिंडदान की परंपरा शुरू की थी। स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में इसका उल्लेख आता है।

प्रेतशिला

यह स्थल अकाल मृत्यु, प्रेत योनि और अज्ञात पितरों के पिंडदान के लिए प्रमुख माना जाता है। गया से 8-10 KM दूर स्थित यह पर्वत आत्माओं को शांति प्रदान करता है।

रामकुंड

यह वही पवित्र कुंड है जहाँ श्रीराम ने अपने पिता दशरथ जी का पिंडदान करने के बाद स्नान और तर्पण किया था।

कागबलि वेदी

कागबलि में कौए को पिंड अर्पित किया जाता है, जिसे पितरों का प्रतीक माना जाता है। कौआ पिंड स्वीकार करे तो श्राद्ध पूर्ण माना जाता है।

उत्तरमानस और उदीचि वेदी

उत्तरमानस वेदी पितरों की गति के लिए उत्तर दिशा में पिंड अर्पण का प्रतीक है। वहीं उदीचि वेदी मोक्ष की ऊर्ध्व गति का संकेत देती है।

दक्षिण मानस वेदी

यम दिशा में पिंड अर्पण कर आत्माओं को प्रेत योनि से मुक्ति देने का स्थान।

जिह्वालोल वेदी

भूख-प्यास की तृष्णा में अटके पितरों की तृप्ति हेतु यह वेदी प्रसिद्ध है। यहाँ पिंडदान से आत्मा भोग बंधन से मुक्त होती है।

गजधर जी वेदी

यह स्थल पितरों को शक्ति, सुरक्षा और रक्षा का आशीर्वाद प्रदान करने वाला माना जाता है।

गया जी - मोक्षदायिनी तीर्थ

गया जी में कुल 54 प्रमुख पिंड वेदियाँ हैं। यहाँ पिंडदान कर पितरों को मोक्ष और परिवार को सुख-समृद्धि मिलती है।

पितृ मोक्ष

पितरों की आत्मा को शांति

पारिवारिक सुख

परिवार में सुख-समृद्धि

पुण्य प्राप्ति

आध्यात्मिक उन्नति